फुटपाथ पर बैठी हुई महिला
हाथ में आईना लिए सज- संवर रही मेकअप कर रही
खुश होकर निहारता उसका साथी
ये लोग फुटपाथ के रहिवासीहै
यही रैन- बसेरा है
कुछ और परिवार भी रह रहे हैं
किसी के यहॉ खाना बन रहा है
कोई चाय पी रहा है
कोई मंजन कर रहा है
बच्चे खेल रहे हैं
सब कुछ फुटपाथ
यही इनका आशियाना
रसोई से लेकर शौचालय
राहगीर बच- बचाकर निकल रहे हैं
कोस भी रहे हैं
चलना दूभर कर रखा है लोगों का
पर क्या वास्तव में आराम और खुशी से है
इनकी भी तो इच्छा होगी अपने घर में रहने की
दर- दर भटकना कौन चाहेगा??
पर यह तो मजबूरी है
पर खुश रहना तो कोई गुनाह नहीं
हर हाल में खुश है
पर फिर भी दूसरों की ऑख की किरकिरी है
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Monday, 13 February 2017
हर हाल में खुश है फिर भी लोगों को तकलीफ है
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