Friday, 16 June 2017

अंकों का खेल - नकल या अकल

अंकों में सिमट गई है जिंदगी
शत प्रतिशत अंक ,क्या कहना
पर जिसका कम आया उनके बारे में क्या सोचना
फेसबुक और वट्सअप पर रिजल्ट डाले जा रहे हैं
प्रशंसा का भूखा तो हर कोई होता है
लोगों की लाइक चाहिए
पर जिनके कम आए है
वह मुंह छुपा कर बैठे हैं
मानो कोई अपराध किया है बच्चे ने और माता- पिता ने
उत्साह और खुशी मनाने से वंचित है
यहॉ तक कि प्रथम श्रेणी में आने के बावजूद आत्महत्या की घटनाएं आ रही है
एक ओर आत्महत्या दूसरी ओर नकल का बोलबाला
यहॉ तक कि प्रशासनिक परीक्षा में भी घोटाला
ऐसे समय में कभी- कभी योग्य और मेहनती छात्रों का योग्य आकलन नहीं हो पाता
एक ओर अंक दूसरी ओर नकल
छात्र करें क्या???
अंक वह भी शत- प्रतिशत
कभी यह असंभव लगता था
पर अब तो हुआ है
अंक आए भी है
पर यह तो सही नहीं है
पर जब योग्यता का मापदंड अंक ही हो
तो ज्ञान कम हो पर अंकों का प्रतिशत ज्यादा हो
फिर क्या परवाह .

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