Monday, 5 June 2017

लिओ वराडकर - भारतीय मूल के प्रधानमंत्री

लिओ वराडकर आयर लैंड के प्रधानमंत्री बने
गर्व है हम सभी को क्योंकि वे भारतीय है

स्वागत है ,भारतीय सभी जगह अपना परचम फहराए

फिर वह कल्पना चावला हो या फिर राष्ट्राध्यक्ष

वैज्ञानिक हो या आई टी इंजीनियर
मॉरशिष ,सिंगापूर या फिर अमेरिका  या फिर कोई और
जब किसी भारतीय को उच्च पद या सम्मान प्राप्त होता है तो हम गदगद हो जाते हैं
यह ढंढोरा पीटने से नही चूकते कि यह भारतीय है
पर हमारा दृष्टिकोण इतना उदार है क्या??
हम किसी विदेशी मूल के व्यक्ति को ऐसा सम्मान देंगे क्या??
हम तो कुरेद- कुरेद कर बखिया उधाडेगे
चाहे उसने अपना समस्त जीवन यही बिताया हो
उसकी राष्ट्रभक्ति पर संदेह करेंगे
हम तो प्रांत और भाषा को नहीं स्वीकार सकते
आज ट्रम्प फैसले ले रहे हैं तो अच्छा नहीं लग रहा है
हम अपने ही देश के लोगों का विरोध करते हैं
उनको मार कर भगाते हैं
नीची नजर से देखते हैं
सीमा पर जवान ,वह सबका है
क्योंकि वह सबकी रक्षा करता है
पर लोग समझते ही है केवल हमसे ही देश चलता है
इसमें सबका योगदान होता है
कोई प्रान्त रक्षा करता है तो कोई रोजी - रोटी देता है
सबका योगदान है
कोई श्रमदान से कोई शिक्षा से
विदेशियों का भी योगदान कम नहीं है
हमारा छात्र विदेश जाता है तो गर्व से छाती फूल जाती है
और हम अपने ही देश में मार- हाड करते हैं
यह संकुचित वृत्ति क्यों है??
हम उदार क्यों नहीं है
भाषावाद और प्रान्तवाद से बाहर क्यों नहीं निकलते
जबकि वसुधैव कुटुंब - हमारा सिद्धांत है
फिर हम उदारवादी क्यों नहीं????

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