एक घना जंगल था ,वहॉ सब प्राणी हिल- मिल कर रहते थे
सब आपस में मित्र भी थे और एक- दूसरे की मदद करते थे ,समय आने पर सचेत भी करते थे
एक खरगोश और कछुआ आपस में मित्र थे पर खरगोश हमेशा ,कछुआ की धीमी गति का मजाक उडाया करता था
एक बार सब प्राणियों ने सुझाव दिया कि
चलो दोनों आपस में दौडने की स्पर्धा रखो
दोनों ने यह मान लिया
गंतव्य समय पर दोनों निकले
पीछे- पीछे दूसरे भी आए ,उनकी स्पर्धा देखने के लिए
खरगोश ने छंलाग लगाई और आधा रास्ता पार कर लिया
सोचने लगा कि ,वे महानुभाव तो धीमी चाल से आते होगे
तब तक मैं क्यों न एक झपकी ले लूं
वह झाडियों में सो रहा था ,अचानक गहरी नींद में चला गया
कछुआ जब वहॉ तक पहुँचा तो उसने अपने मित्र को सोते हुए देखा
एक बार तो उसके मन में आया
सोने दो इसे ,बहुत डींग हाकता था न
आज पता चलेगा
पर फिर दूसरे ही क्षण सोचा
नहीं ,यह मित्र के साथ विश्वासघात होगा
उसको जगा दूं ,शर्त का क्या है??
खरगोश गहरी नींद में था ,उसे झकझोरकर जगाया
स्पर्धा याद है या नहीं?? हँसते हुए उसने पूछा
खरगोश ऑख मलते हुए उठ बैठा
आश्चचर्य चकित हो बोला
अरे , तुम तो मुझे सोते छोड जा सकते थे
शर्त भी जीत जाते
कछुए ने उत्तर दिया
शर्त का क्या है दोस्त
मुझे तो मेरी मित्रता प्यारी है
खरगोश की अब तक ऑखें खुल चुकी थी
गले लगाते हुए बोला
माफ करना मित्र ,मैं घमंड में चूर था
पर आज तुमने मुझे सही राह दिखा दी
मित्रता में सब बराबर होते हैं
कोई छोटा या बडा नहीं
सब पशु तब तक आ गए थे और यह सुनकर ताली बजाने लगे
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Monday, 3 July 2017
खरगोश और कछुआ की कहानी
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