आजकल यह खबर सुर्खियों में है कि राहुल गॉधी जनेउधारी हिन्दू है और शिवभक्त भी है
इससे क्या फर्क पडता है कि वह कौन हैं??
अगर वह सोमनाथ तथा और मंदिर में जा रहे है दर्शन को तो यह उनका मौलिक अधिकार है
भले ही वोट के लिए ही तो क्या हुआ
हर व्यक्ति भगवान के समक्ष ही नतमस्तक होता है
अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रतीक्षा करता है
कठिनाई को दूर करने की विनती करता है
अगर पार्टी के लिए वह कर रहे हैं तो इसमें किसी को ऐतराज क्यों??
रही बात बाबा साहब को छोड बाबा भोले नाथ की शरण में जाने की तो याद रहे बाबा साहब बाबा भोलेनाथ नहीं है
वे एक महान पुरूष हो सकते हैं पर उनको शिवजी के समकक्ष खडा करना यह तो निहायत ही गलत है
बाबा साहब को भी कभी भगवान के सामने झुकना पडा होगा
हर कोई कितना भी बडा हो ईश्वर से बडा तो नहीं
बाबा भोलेनाथ को चुनावी मोहरा बनाने की आवश्यकता क्यों पड रही
विकास कहॉ चला गया
उसका पता लगाना है
अगर वह पागल हो भटक रहा है तो उसे रास्ते पर लाना है और यह नेता की जिम्मेदारी बनती है
बाबा भोलेनाथ की कृपा सब पर बरसती रहे
हमारे नेताओं को सद्बुद्धि दे और आपसी और व्यक्ति गत टिप्पणी छोड वे जनता के लिए कार्य करे
यह उनके दरबार में जाकर सर झुकाकर सबको मांगना चाहिए
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Friday, 8 December 2017
भोले बाबा और बाबा साहब
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