Monday, 7 May 2018

शादी

शादी करनी चाहिए
घर बसाना चाहिए
परिवार बढाना चाहिए
बच्चे पैदा करना चाहिए
नहीं तो बुढापे मे अकेले रह जाएंगे
यह सोच है हमारी
अपनी मर्जी से जीना नहीं
शादी तो एक समझौता है
जिन्होंने शादी किसी कारणवश नहीं की
वह अलग नजर से देखा जाता है
चाहे वह कितने भी बडे पद पर हो
कितनी भी समाज सेवा करें
यह सोच बदलनी होगी
आजकल अकेला तो हर कोई है
बच्चे बड़े हो गए
अपना संसार बसा लिया
नहीं भी तो साथ रहना नहीं चाहते
फिर क्यों यह धारणा
शादी हुई तो भी ठीक न हुई तो भी
जिंदगी भर पछताने से क्या ???
हम अपनी जिंदगी को सार्थक करें
शादी ही लक्ष्य नहीं
आज भी बहुत से ऐसे लोग हैं जाने -माने
वह अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रहे हैं
सही जीवन साथी न मिला तो कोई बात नहीं
जिंदगी तो खुशहाल है
बच्चे नाम चलाए
इससे बेहतर स्वयं नाम बनाए
जो सदियों चले

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