Tuesday, 8 May 2018

नारियल

मुझे कल्पवृक्ष कहा जाता है
मेरे हर अंग का उपयोग
फल से लेकर पत्तियों तक
मैं किसी को हानि नहीं पहुंचाता
पर आजकल मैं दुखी हूँ
पूजा मे मुझे उपयोग किया जाता
कलश या लोटे पर रखा जाता
कुछ दिनों मे फुनगिया आने लगती
एक दो फुट बढ़ जाने पर सडक किनारे
या ईमारत के किनारे लगा देते हैं
बडा  होने पर लोगों पर गिरता है फल
कोई बेहोश हो जाता
तो किसी की जान
मेरा जगह जहाँ है वही लगाए
पाप का भागी दार मत बनाए
मैं तो सीधा-सादा
ज्यादा की जरूरत नहीं
मेरा पानी शक्ति देता है
झाडू बन स्वच्छता करता है
झोपडी पर छाया
खाने का स्वाद लाजवाब बनाता
तेल से लेकर मिठाई
बाहर से कठोर ,अंदर से कोमल
मेरा दिल दुखता है
लोगों की जिंदगी से खेलना
यह मुझे मंजूर नहीं

No comments:

Post a Comment