घनघोर बरसात हो रही
काली घटा छा रही
बिजली चमक रही
चारों तरफ घना अंधेरा
सब दूबककर अपने घरों में बैठे हुए
डर रहे , बारिश विकराल रूप धारण कर
सब इंतजार कर रहे थे
पर इस तरह नहीं
कहीं लोग बह रहे
कहीं पुल गिर रहे
कहीं चट्टान खिसक रही
ईमारतें ढह रहे
जाने जा रही
आपका सुहावना रूप मनभावन है
रूद्र रूप नहीं
जीवन दायिनी है
जीवन लेने वाली नहीं
अपनी कृपा बरसाए
प्यासे को तृप्त करें
सूखे को हरियाली दे
तपती धरती को शीतलता प्रदान हो
रिमझिम का आंनद मिले
जीवन दे
विनाश नहीं
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Sunday, 8 July 2018
बरखा रानी जरा थम के बरसे
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