Tuesday, 2 October 2018

दूल्हा भी नाच रहा है

जमाना बदल गया
पहले लोग नाचते थे
रिस्तेदार नाचते थे
दूल्हा शर्माया सा रहता था
अब तो दूल्हा ही सबसे ज्यादा नाचता है
लगता ब्याह के पहले ही रिहर्सल कर रहा है
ताउम्र अब नाचना जो है
अब वह.समय नहीं
जब लड़कियाँ चुप रहती थी
रौब बर्दाश्त करती थी
अब कदम मिलाकर चल रही है
हर चीज मे उनकी भागीदारी है
अब वह इशारों पर नाचने वाली नहीं
नारी शक्ति का जमाना है
वक्त बदल रहा है
अब तो सारी झिझक छोड़नी है
नाचना तो पड़ेगा ही
नहीं तो गृहस्थी की गाड़ी कैसे चलेगी
वक्त तो सबको बदल देता है
फिर यह तो दूल्हे राजा
रानी को रिझाना है
तो नाचना तो बनता है

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