Thursday, 7 February 2019

आग तो विनाशक ही है

आग तो आग ही होती है
वह जलाने का काम करती है
फिर वह मन की हो
तन की हो
पेट की हो
स्थान की हो
सामान की हो
जंगल की हो
विनाशक ही है
जान माल की हानि कर डालती है
है तो गरम
पर बुझती है ठंडे पानी से
उसको बुझाने का ही प्रयास किया जाता है
यह सुखदायी नहीं होती
बहुत से जतन किए जाते हैं
यह तो जलाकर ही मानती है
यहाँ तक कि पास वाला भी झुलस जाता है
बुझाने वाले भी चपेट मे आ जाते हैं
कोशिश रहे
आग से बच कर रहा जाय
इसे लगने न दिया जाय
इसके लिए सर्तकता बहुत जरूरी है
फिर वह रिश्ते मे हो
संबंधों मे हो
ईर्ष्या -द्वेष से हो
बिजली से हो
लकडी - कागज से हो
लापरवाही नहीं बरतना है
नहीं तो इसको किसी को भी भस्म करने मे देर नहीं
यह भस्मासुर है
जब उगलती है तब विनाश तो निश्चित है
लाल लपटे सब धुआं कर डालती है
शीतल जल से ही यह रूकती है
शीतलता बनाए रखें
ताकि यह काबू मे रहे

No comments:

Post a Comment