हम भूलना चाहते हैं
भूल भी जाते हैं
घाव भरने ही लगता है
कि फिर ठेस लग जाती है
फिर हरा - भरा हो जाता है
कुरेदने वाले कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते
मजा जो आता है उन्हें
गाँसिप का विषय जो मिल जाता है
दूसरे की परेशानियों की बखिया उधेड़ना
यह रस ले लेकर करते हैं
ऐसा लगता है कि
खुदा जो हो गए हैं
परिपूर्ण है
समस्या रहित
यह नहीं जानते कि
वक्त कब करवट बदले
खुदा नखास्ता कहीं उनके साथ भी वह न हो जाय
तब तो हंसना भूल जाएंगे दूसरे पर
जरा डरे
जरा सोचे
वह क्या कर रहे हैं
ऐसा न हो कि
पल पल कोसते रहे स्वयं को
आखिर ईश्वर के दरबार मे भी हाजिरी लगाना है
कर्मो का लेखा जोखा होना है
इस जन्म मे न सही
अगले जन्म मे ही सही
जवाबदेही तो बनती है
दुनिया की यही रीति है
दूसरे मे तो ऐब ही ऐब
अपने जैसे दूध के धुले
जरा झांककर देखें
तब लगेगा कि
तुम पर भी लोग हंसते हैं
यह बात अलग है कि
सामने कोई बोलता नहीं
दूसरों की कमी देखने से पहले अपने गिरेबान मे झांकिए
बुरा जो देखन मैं चला
मिला न मुझसे बुरा कोय
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Friday, 22 March 2019
हंसने वाली यह दुनिया
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