Sunday, 14 April 2019

जलियाँवाला हत्याकांड

जलियांवाला वाला बाग का सामूहिक नरसंहार
यह खेद व्यक्त कर
माफी मांग कर
भरपाई नहीं होनेवाला
डायर ने गोलियां चलवाई थी
उसकी गूंज आज भी गूंज रही है
बहुत गहरा घाव है
भरनेवाला नहीं
जब जब उसका जिक्र होगा
फिर ताजा हो जाएगा
यह ब्रिटिश सत्ता पर घिनौना दाग है
उनकी क्रूरता का परिचायक है
सत्ता के लालची
भारत को लूटने वाले
उनको गुलाम बना कर रखनेवाले
उन्हीं के देश मे उन्हीं पर राज करना
हमारी इंसानियत और मेहमाननवाजी का गलत फायदा
व्यापारी बन कर आए
शासक बन बैठे
क्रांतिकारियों की शहादत
यह भारत नहीं भूल सकता
जलियांवाला बाग हत्याकांड की याद
जब जब किसी अंग्रेज को देखते हैं
तब याद हो आती है
गुलामी याद हो आती है
प्रेम नहीं रोष उत्पन्न हो जाता है
मानवता को शर्मसार करनेवाली घटना को कोई कैसे भूल सकता है
भारत का जलियांवाला बाग
जापान का हिरोशिमा -नागाशाकी
यह डायर और ट्रूमैन द्वारा किया गया वह क्रूर कृत्य है
जो किसी भी सभ्य समाज के लिए घातक है
विनाश का उदाहरण है
सबक लेना है
जीवन का इस तरह संहार
यह तो सबके लिए शर्मसार
इनके लिए जो है जिम्मेदार
उन्हें नहीं मानव कहलाने का अधिकार

No comments:

Post a Comment