Thursday, 4 July 2019

बूंदे बरस गईं

बूंदे बरस गईं
अपना छाप छोड़ गई
धरती को जलमग्न कर गई
कुछ पेड़ पर
कुछ पत्ती पर
कुछ फूलों पर
कुछ मिट्टी में

हर बूंद अपना भाग्य लेकर आई
कुछ देने के लिए ही आईं
अपने को मिटाकर
दूसरों के लिए जी ली
क्षण भर ही सही
कुछ काम तो आई

पक्षी चोंच फैलाए
राह देख रहे थे
बच्चे हाथ में ले
खुश हो रहे
कोई पंख फैला रहा
कोई जीभ निकाल रहा
यह सब पर पड रही
उनके लिए न कोई
अपना न पराया

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