हमने अदब से सर झुकाया
उन्होंने उसे हमारी कमजोरी समझ ली
वे बोलते गए
हम चुप रहे
उन्होंने हमारी चुप्पी को डर समझ लिया
हम लडाई से बचते रहे
वे लडते रहे
दोष हम पर मढते रहे
जीना उनको नहीं आया
बदनाम हमें करते रहे
हम हँसते रहे
वे हमें रुलाते रहे
ऊपर से एहसान जताते रहे
यह एहसास कराते रहे
हमारे जैसा कोई नहीं
सही है
कोई नहीं
गलत भी करे
और सही सिद्ध हो
इसमें तो माहिर हैं
अपने साफगोई बच जाना
यह तो इनकी पुरानी फितरत है
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Saturday, 6 July 2019
फितरत
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