Tuesday, 5 November 2019

माया मोह का बंधन

मैं मजबूर हूँ
मैं लाचार हूँ
मैं विवश हूँ
मैं मायूस हूँ
मैं दुखी हूँ
मैं उदास हूॅ
मैं पराजित हूँ
मैं परेशान हूँ

फिर भी जिंदा हूँ
फिर भी मजबूत हूँ
फिर भी जिंदगी जी रही हूँ
फिर भी हंस रही हूँ
फिर भी कार्यरत हूँ
फिर भी आशावान हूँ
फिर भी आश्वासित हूँ
फिर भी जीत का जज्बा है

नियति के हाथों का खिलौना हूँ
वह भी खेल रही है
मैं भी खेल रही हूँ
वह नचा रही है
मैं नाच रही हूँ
ऑख मिचौली का खेल चल रहा है
कभी खुशी कभी ग़म
कभी धूप कभी छाया
कभी माखौल उडाती है
कभी जज्बात के साथ खिलवाड़

हम क्या करें
क्या न करें
वश में तो हमारे कुछ भी नहीं
वह कस कर लगाम पकड़ी है
ढील देना नहीं चाहती
हम जोर लगा सकते हैं
छुडा नहीं सकते
बस होनी को लेकर शंकित
हम वह है
जहाँ पल का पता नहीं
हम मानव है
मन के साम्राज्य में अटके है
न हम मुक्त हो पा रहे हैं
न नियति हमें यह मौका दे रही है
शायद यही माया है
मोह है
बंधन है
जकड़न है
जब तक है तब तक साथ है

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