कहते हैं कि मनुष्य खाली हाथ आता है
खाली हाथ जाता है
पर शायद यह सच नहीं है
वह तो गर्भ में आते ही खुशी ले आता है
औरत को माँ बनने का सौभाग्य प्रदान करता है
आशा और अभिलाषा लेकर आता है
रिश्ता बनाता है
नया नाम देता है
सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व लिए आता है
नव निर्माण करता है
जीवन को नया अर्थ देता है
समाज और संसार का भागीदार बनता है
तब तो खाली हाथ कैसे आया ??
जाता भी खाली हाथ नहीं
लोगों का प्यार और अपनापन लेकर जाता है
कोई दुआ तो कोई बददुआ लेकर जाता है
अपने वह कर्म लेकर जाता है
जो उसने यहाँ किया
और हिसाब किताब वहाँ करना है
किसी के ऑख में ऑसू देकर जाता है
किसी को वियोग की पीड़ा देकर जाता है
किसी की हंसी को साथ लेकर जाता है
यादें देकर जाता है
तब तो वह आता भी खाली हाथ नहीं
जाता भी खाली हाथ नहीं
अपने कर्मों के साथ ही जाता है
तब तो कर्म भी ऐसा हो
आते समय आप रो रहे थे
दूसरे सब हंस रहे थे
खुश हो रहे थे
जाते समय आप हंसते रहे
दूसरे सब रोते रहे
गमगीन हो
आपका जाना उन्हें गंवारा नहीं
अपने लिए जीते हैं सब
गैरो के लिए भी कुछ करें
और कुछ नहीं
दो मीठे बोल ही बोल दे
इसी बहाने ही सही
कोई याद तो कर लेंगा
नाम तो लेगा
नाम और बदनाम
दोनों में से एक का चुनाव
तब शांति भी आपके साथ ही जाएंगी
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