समदंर कितना भी गहरा हो
विशाल हो
पर प्यास नहीं बुझा सकता
उसकी विशालता उसी तक
वह तो कुछ भी अपने में नहीं रखता
सब किनारे लगा देता है
नदी भले छोटी ही क्यों न हो
सूखने तक प्यास बुझाती है
सब कुछ अपने में समेट लेती है
वह माँ है
जीवनदायिनी है
संतान के लिए सब कुछ करना
यह कैसे कोई भूल सकता है
तब उसका स्थान भी लेना संभव नहीं
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Wednesday, 6 November 2019
वह माता है
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