आज रात तबियत कुछ नासाज
मन हो गया नाराज
कह उठा
या खुदा
जाने क्या होगा
कब तक ऐसा चलेगा
ऐसे जीने से तो मरना भला
डर डर कर जीना भी कोई जीना
अचानक कोई खांस उठा
तंद्रा भंग
यह तो माँ है
अगर मुझे कुछ हो गया
तब इनका क्या होगा
यह तो जीते जी मर जाएगी
नहीं नहीं मुझे जीना है
अपने लिए न सही इनके लिए
तकलीफ सह लूँगी
सब बर्दाश्त कर लूंगी
समझ नहीं आता
लोग कैसे मरने की सोच लेते हैं
अपनों को मझधार में छोड़ जाते हैं
अपने लिए न सही
अपनों के लिए जीओ
उनका भी हक तुम्हारे जीवन पर
उसे यूँ ही क्षुद्र कारणों से न गंवाओ
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Tuesday, 3 December 2019
उसे यूँ ही क्षुद्र कारणों से न गंवाए
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