Thursday, 23 January 2020

जीने की आस

आज शमा खुशगवार है
मौसम सुहाना और शांत है
कोई दिल के करीब है
कानों में बज रही शहनाई है
होठों पर गीत गुनगुना रहे हैं
ऑखे उनींदी है
दिन में ही सपने आ रहे हैं
सब जगह छाई बहार है
कौन सा मौसम यह आया है
मन के कोने-कोने को गुदगुदा रहा है
कुछ हौले से कह रहा है
पंख लगा कर उड रहा है
अजीब अजीब सी हरकत कर रहा है
हलचल मचा रहा है
जरा नजर डाल ली
तब लगा
मौसम तो वही है
बदला तो कुछ भी नहीं है
खुशी हिलोरे ले रही है
कुछ मनचाही मुराद मिली है
जब मन प्रफुल्लित और प्रसन्न
तब सारा जहां ही लगता खुशगवार
हर कण कण लगता गाता है
जीने की आस जगाता है

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