Monday, 18 May 2020

जिसके दुख की कोई सीमा नहीं

पैर में छाले
ऑखों में ऑसू
सर पर बोझ
चेहरे पर पसीना
पेट में भूख
डगमग डगमग कदम
चले जा रहे हैं
लाखों की तादाद में
न रूके
न थके
यह दृश्य देखकर दिल मसोसकर रह जाता
मन विचलित हो जा रहा
कब तक होगा
जब तक  नियम कानून बनाए जाएंगे
फार्म भरवाए जाएंगे
रजिस्टर करवाया जाएगा
तब तक यह रास्ता नाप चुके होंगे
इस राज्य की सीमा यहाँ से
उस राज्य की सीमा वहाँ से
बीच में फंसा बेबस मजदूर
जिसके दुख की कोई सीमा नहीं

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