Wednesday, 20 May 2020

बच्चे भूखे हैं

बच्चे भूखे हैं
माँ तडप रही है
अपनी भूख को तो भूल गई
बस बच्चों की भूख याद है
कैसे उनका पेट भरे
कैसे उनके चेहरे पर मुस्कान हो
अब तो भीख ही मांगना है
आत्मसम्मान की बात छोड़ दो
जब काम धंधा नहीं
तब स्वावलंबन और आत्मनिर्भर की बात बेमानी
किसी के भी आगे हाथ फैला लेंगी
फोटो निकालना है निकाल लो
बस हमें खाना दे दो
अब समाज का डर नहीं
कोई क्या कहेगा
इससे कोई फर्क नहीं पडता
भिखारी कहे वही सही
वैसे भी इस समय भिखारी ही है
सब कुछ बंद
काम धंधा ठप्प
तब करें क्या
हाथ पैर सही सलामत
मेहनत को तैयार
फिर भी है लाचार
बच्चे भूखे हैं
माँ तडप रही है

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