काम काम काम
यह काम तो साला खत्म होने का नाम ही नहीं लेता
दिन भर दौड़ धूप
भागम-भाग
कभी घर में तो आराम से बैठे
छुट्टी के दिन भी चैन नहीं
समय ने करवट ली
अब बैठो आराम से
नहीं बाबा नहीं
यह आराम तो भारी है
काम मे ही अपनी भलाई थी
यह कैदी सी जिंदगी
थमी सी जिंदगी
अपुन को नहीं भाती
काम करना परवडता है रे बाबा
पण असा नको
घरी बसा आणि आरामात खा
राशन मिलराणच सरकारकणून
पण तिचा काय उपयोग
आम्हाला असा नाय आवणतात
हम तो काम कर खाने वाले लोग
मेहनतकश
निठल्लापन हमारी फितरत नहीं
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