Monday, 4 May 2020

हम मुंबईकर - कहाँ जाएंगे ??

आज मेरी मुंबई पर आपदा आई है
यह सबके सपनो को साकार करने वाला शहर
बिलकुल अपनापन सा लगने वाला
मुंबई की तंग गलियाँ
भीड़ भरी लोकल
बेस्ट की बस
हर जगह कतार
फिर वह ऑटो की हो या शेयरिंग टेक्सी की
बिजली का बिल भरना हो
डॉक्टर की क्लीनिक हो
यहाँ इंतजार तो करना पडता है
तब जाकर हमारा नंबर आता है
पर मुंबई वासियों के चेहरे पर कोई शिकन नहीं
एक मुस्कान एक धीरज
भीड़ हमारी आदत
हम भीड़ का हिस्सा
हमें खाली खाली कुछ नहीं भाता
चाल और झोपड़ी वाले भी लखपति - करोड़पति
शान से कहते हैं
हमारा झोपड़ा है
सही भी है बंगलों और कोठी की हैसियत रखता है वह
खाने की तो बात ही निराली
ऐसा कोई पदार्थ नहीं जो यहाँ न मिलता हो
दस रूपये के बडा पाव से लेकर मंहगा से मंहगा भी
यहाँ गाडी वाला भी गाडी से उतर भेल पुरी और पानी पुरी का स्वाद लेता है
टापुओ पर बनी हमारी मुंबई
समुंदर से घिरी हुई
समुंदर जैसा ही विशाल उसका दिल
सभी का बाहें फैलाए स्वागत करती है
सभी को अपने में समाहित करती है
रंक से राजा बनाती है
गैरो को अपना बनाती है
जो भी इसकी शरण आया
वह भूखा तो नहीं ही रह सकता
हाँ मेहनतकश को भरपूर मेहनताना देती है
सचमुच की मायानगरी है हमारी मुंबई
अगर आसमान तारों से झिलमिलाता है
तो हमारी मुंबई रोशनी से जगमगाती है
देखा जाय तो यह सोती ही नहीं
अनवरत काम करती है
मुंबई को तो छोड़कर जाने की तो हम सपने में भी कल्पना नहीं कर सकते
यह पहली आपदा नहीं है
इसके पहले भी बहुत सी आपदाएं आई है
मुंबा देवी ने हमेशा रक्षा की है
अब भी करेंगी
संवरेगी हमारी मुंबई
फिर वही ट्रेफिक और भीड़ का नजारा होगा
तब तक धैर्य रखना है
कहाँ जाएंगे
जीना यहाँ  मरना यहाँ
     इसके बिना जाना कहाँ

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