Saturday, 9 May 2020

सोचा न था

सोचा न था
यह दिन भी आएगा
पास रहकर भी दूर रहना होगा
कम से कम छह फीट की दूरी पर
हवा रहते हुए भी खुली हवा में सांस लेने पर पाबंदी
काम रहते हुए भी बेकार बैठना
हाथ रहते हुए भी हाथ न मिलाना
कान के पास बोले तो
अरसा बीत गया
हर चेहरे पर मास्क
मुस्कान का कहीं अता पता नहीं
बोले तो क्या बोले
अपने ही चेहरे पर हाथ फिराना मुश्किल
ब्यूटीपार्लर और सैलून की तो बात ही छोड़ दे
जेब गर्म है पर खर्च कुछ भी नहीं
न घूमना न फिरना
न होटल में खाना
न नए कपड़े खरिदना
बर्थडे और मैरिज एन्वर्सरी भी सूनी
यहाँ तक कि शादी ब्याह में भी किसी की उपस्थिति नहीं
न दोस्त न रिश्तेदार
न पडोसी
सबसे है दूर
बस स्वयं का है साथ
वह भी है डरा डरा
हर वक्त हाथों में सेनेटाइजर लगाता
साबुन से हाथ रगड रगड कर धोता
साधारण बुखार और सर्दी खांसी से भी लगता डर
यहाँ तक छींक आ गई
तब भी मन कांप गया
समाचार में भी एक ही न्यूज
करोना का क्या हाल
कितनी संख्या
कब खत्म
लाॅकडाउन बढेगा या खत्म होगा
एक महामारी जो महारथी बन कर आई है
मौत के रथ पर संवार
किसको साथ ले जाएं
यह कोई नहीं जानता
परेशानिया तो बहुत
संघर्ष भी बहुत
सबका सामना कर लिया
पर इसका सामना
इसको हराना
लगता है बडा मुश्किल
सभी की जान आफत में डाल
यह पूरे विश्व में डेरा जमा चुकी
मानव और विज्ञान
दोनों की अक्ल हो गई गुम
सोचा न था
यह दिन भी आएगा

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