कभी मैंने किसी से उधार मांगा था
ज्यादा नहीं बस दो सौ
कहीं जाना था
बहुत अजीज था
बहुत विश्वास था
फिर भी नकार दिया
अजीब सा लगा
पर वह वाकया जिंदगी का सबक सिखा गया
पैसा बचाना है
आने वाले दिनों के लिए
भविष्य के लिए
हारी बीमारी के लिए
जरूरतो के लिए
केवल खाना कमाना ही नहीं
साथ में बचाना भी
संकट में कोई मदद नहीं करता
किसी के आगे हाथ फैलाना
कितनी बडी मजबूरी
अपने स्वाभिमान को ताक पर रख देना
ना सुनने पर शर्मदिंगी महसूस करना
मानों कितना बडा अपराध
बहुत पैसा कमा लिया
पर वह एक उधार याद रहा
वह जिंदगी का सबक सिखा गया
पैसा सब कुछ तो नहीं
पर बहुत कुछ है
उसके बिना कोई पूछ नहीं
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Monday, 29 June 2020
वह एक उधार याद रहा
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment