तुम कांटे हो
मैं फूल हूँ
तुम्हारा काम है चुभोना
दर्द देना
किसी की आह सुनना
तुमको यह शायद उचित लगे
कोई फूल तोडने आएगा
तब ऐसा ही करूंगा
तुम मेरे अच्छे दोस्त हो
यार मैं मजबूर हूँ
मैं यह नहीं कर सकता
मेरा काम खुशी देना है
खुशबू देना है
जब माताजी तोडती है
तब लगता है
उनके भगवान के काम आ रहा हूँ
जब बच्चे तोड़ते हैं
तब उनकी मुस्कान पर फिदा हो जाता हूँ
जब कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका के लिए उपहार देने के लिए
तब प्रेमिका की झुकी नजरें मन मोह लेती है
कितना दिन खिलूगा
ज्यादा से ज्यादा ढेड या दो दिन
फिर तो मुरझा कर गिरना ही है
तब क्यों न किसी के काम आ जाऊं
किसी की मुस्कान बन जाऊं
दर्द देकर क्या मिलेंगा
मैं तो फूल हूँ न
खुशबू देना
खुशी देना
मन मोहना
इसीलिए तो जन्म मिला है
सुकून मिलता है
तुम अपना काम करो मैं अपना
आखिर कांटे , कांटे ही है
फूल तो फूल ही है.
No comments:
Post a Comment