Thursday, 1 October 2020

कब तक बेटियां हवस की भेंट चढ़ेगी

बलात्कार यह सबसे बडा अभिशाप
इससे बडा नहीं ज्यादा कोई अत्याचार
नारी से दुराचार
उसको खत्म कर देना
उसके अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह
हमेशा के लिए कलंकित
उसको मारने में कोई कसर नहीं
तन से नहीं तो मन से जरूर
अगर बच गई तब भी
वही नहीं उसका पूरा परिवार
सभी संदेह के घेरे में
बलात्कारी का नाम भी नहीं
उसका और उसके परिवार का जिक्र नहीं
अपराधी बलत्कारी नहीं
वह है जिस पर हुआ है
किसी की जिंदगी खत्म कर देना
कामुकता और हवस के नशे में
उनके घर में भी तो औरते होगी
बहन - बेटियां होगी
शर्म नहीं आती है
इतना गिर जाना
पाशविकता की हद पार कर जाना
दंड क्या दिया जाए
ऐसा जो फिर दूसरे की हिम्मत नहीं
घर , समाज  , परिवार से बहिष्कृत
साथ में ताउम्र जेल
फांसी देकर कुछ नहीं
जेल में सडने के लिए छोड़ा जाएं
जम कर यातना दी जाएं
घटना होने पर ही सचेत नहीं
समय-समय पर याद दिलाया जाय
यह हो रहा है
लगातार बढ रहा है
सामाजिक जागरूकता बढाई जाय
हर गाँव के सरपंच
हर शहर के नगर सेवक , विधायक
शामिल हो
बेटियों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सबकी बनती है
सरकार , समाज , परिवार
कोई वकील नहीं कोई केस नहीं
बस दंड का प्रावधान
सबको जताया जाय
अगर कोई ऐसा करेंगा
तब उसके साथ ऐसा ही होगा

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