Thursday, 1 October 2020

दोस्त का फर्ज


जब तुम्हारे पास कोई न हो
अकेलापन महसूस करना
तब मुझसे बात कर लेना
मन को खोल कर रख देना
शायद हल्कापन महसूस हो

जब तुम घबराओ
पसीने छूट रहे हो
मन में विचार घुमड रहे हो
एक फोन कर लेना
कुछ ढाढ़स बंध जाएंगा

जब तुम उदास हो
रोने का मन कर रहा हो
तब खुलकर मजाक कर लेना
पुरानी बातों को याद कर लेना
होठों पर हंसी आ जाएंगी

मैं ज्यादा तो कुछ नहीं कर सकता
पर पीडा को बाँट अवश्य सकता हूँ
आज के समय जब अपने भी व्यस्त हो
उनके पास समय न हो
तब अंजानी आवाज भी प्यारी लगती है
अपनी लगती है
साथी का साथ
दोस्तों की बात
बचपन की याद
यह भुलाया नहीं जा सकता

मैं तो दोस्त हूँ
न उदास देख सकता हूँ
न दुखी देख सकता हूँ
न पीडा हर सकता हूँ
हाँ बात कर सकता हूँ
सुन सकता हूँ
दोस्ती का फर्ज निभा सकता हूँ

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