Tuesday, 12 January 2021

बंदिशों में जीवन

यह मत करो
वह मत करों
तब करो तो क्या करों
तमाम बंदिशें
बचपन में
जवानी में
बुढापे में
ज्यादा जोर से मत भागो
समय से खेलो
खुलकर मत हंसो
ज्यादा देर घर से बाहर मत रहो
कम खाओ
लाठी लेकर चलो
टेलीविजन कम देखो यह तो हर उम्र की बंदिश
हर अवस्था की अपनी - अपनी बंदिशे
इसी बंदिश की चहारदीवारी में हम बंधे
न जाने कितनी इच्छाओं का दमन किए
देखा जाय तो जो  बंदिशे बचपन में
वही बुढापे में
बंदिशो के घेरे में बंधा जीवन सारा
अंत में मिला क्या ??

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