Tuesday, 16 February 2021

हम जहाँ थे वहीं खडे रहे

हमने तो जाने क्या - क्या सोचा था
भविष्य के रंगीन सपने बुने थे
बडे बडे सुंदर ख्वाब देखा था
रंगीन दुनिया नजर आती थी
आज नहीं तो कल
अवश्य हमारा होगा
न जाने किसकी नजर लगी
समय ने ऐसा पलटा खाया
सारे सपने हुए चकनाचूर
सब ख्वाब धरे के धरे रह गए
हम धडाम से औंधे मुंह जमीन पर आ गिरे
न जमी मिली
न आसमां मिला
बस वक्त का दगा मिला
वक्त ने वह सिला दिया
हम , हम न रहें
न सपने रहे
न आशा - आंकाक्षा
बस हाथ आई मायूसी
हम खडे खडे सभी को देखते रहें
लोग आगे निकलते गए
भाग्य उन पर मेहरबान होता रहा
हम जहाँ थे
वहीं खडे खडे सबको निहारते रहें
हम जहाँ थे वहीं खडे रहे

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