Saturday, 20 March 2021

हमारी जिंदगी

जिंदगी का क्या है
वह नित नए खेल खेलती रहती है
कब पलटी खा जाएं
यह तो कोई नहीं जानता
आज कुछ और कल कुछ और
पल पल बदलती रहती है
इस पर कैसे विश्वास करें
ख्वाबों को एक झटके में चकनाचूर कर देती है
कब आसमान से जमीन पर ला पटक दे
कब सर ऑखों पर बिठा ले
उसका खेल तो वह ही जानती है
नित परिवर्तनशील
कल , आज और कल
इसी के बीच हम
यह हमारी होकर भी हमारी नहीं

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