जिंदगी का क्या है
वह नित नए खेल खेलती रहती है
कब पलटी खा जाएं
यह तो कोई नहीं जानता
आज कुछ और कल कुछ और
पल पल बदलती रहती है
इस पर कैसे विश्वास करें
ख्वाबों को एक झटके में चकनाचूर कर देती है
कब आसमान से जमीन पर ला पटक दे
कब सर ऑखों पर बिठा ले
उसका खेल तो वह ही जानती है
नित परिवर्तनशील
कल , आज और कल
इसी के बीच हम
यह हमारी होकर भी हमारी नहीं
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Saturday, 20 March 2021
हमारी जिंदगी
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