माना कि शहर बहुत उदास है
हवा भी कुछ धीमी सी
फिर भी मन में विश्वास है
प्रकाश ने डेरा तो डाला है
अंधकार को दूर भगाता है
संसार है
जीवन है
तब उसके साथ सुख - दुख भी है
गम और मुस्कान भी है
यह मानव है
रो कर बैठ रहना
यह न उसका धर्म है न कर्म हैं
सदियों से उसने न जाने कितने आपदाओं का सामना किया है
गिरा है
संभला है
उठ भी खडा हुआ है
जीवन जीया है जीता भी है
मृत्यु और बीमारी
आपदा और विपदा
भूकंप और बाढ
विनाश और निर्माण के मुहाने पर खडा
आशा और निराशा के भंवर में डूबता - उतराता
अपना कर्तव्य करता जाता
आज और पल का ठिकाना नहीं
भविष्य का निर्माण करता जाता
अदम्य जीजिविषा के साथ
तभी तो यह सब जीवों में ताकतवर
ग्रहों और नक्षत्रों की गणना करता
उन पर पहुंचने की कोशिश करता
यह मानव है जिसने हार नहीं मानी
जीवन को मुठ्ठी में लेकर चलता है
विस्तार आसमान तक करता है
अभिमान है कि
हम मानव है
हारना हमारी फितरत नहीं ।
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Wednesday, 5 May 2021
हारना हमारी फितरत नहीं
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment