Wednesday, 19 May 2021

सब कुछ धुल गया

सब कुछ  धुल गया
जमी हुई  धूल - मिट्टी
छत पर
पेड  - पौधों  पर
यहाँ  - वहाँ 
जहाँ  भी गंदगी
कूडे  का ढेर
सब बह गए
सब निर्मल और स्वच्छ
वर्ष  में  एक बार आती है
सब धोकर जाती है
हम  भी दीपावली  में  साफ - सफाई  करते हैं
रंग - रोगन  करते  हैं
पुरानी  चीजें निकालते  हैं
नये से घर  सजाते हैं
सब यत्न  करते हैं
मन को नहीं  धोते
बरसों  की जमी हुई  मन को टीसने  वाली बातें
पीड़ा  दायक घटनाएं
सब सहेज कर  रखे हुए  हैं
समय-समय पर  पीछे  मुड़कर  देखते हैं
घावों  पर मरहम  लगाने  की अपेक्षा
उसे कुरेद - कुरेद कर ताजा करते रहते हैं
दुखी रहते हैं 
अपनों  को  भी दुखी करते रहते हैं
क्यों न मन को साफ किया जाएं
दीपावली  पर घर तो होली पर मन
घर में  दीए  की  रोशनी
मन में  रंगों  की  बौछार
सावन में  बरखा की फुहार
तब जीवन में  आ जाएं  बहार

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