क्या वह मेरा पहला प्यार था
कुछ बात तो थी उसमें
उसे देखे बिना चैन न मिलता था
उसे देखता तो एक धीमी सी मुस्कान आ जाती थी
घंटों देखता रहता
छुप - छुप कर
कभी बाल्कनी से कभी सडक पर
कभी बस स्टाप पर तो कभी ऑटो की कतार में
न जाने क्या रिश्ता था
बस मन को सुकून मिलता था
जीने की वजह मिलती थी
बतियाना चाहता था
हाथ में हाथ डाले घूमना चाहता था
पर हिम्मत नहीं पडती थी
थी तो अंजान फिर भी परिचित लगती थी
एक अपनेपन का एहसास होता था
दिन में साक्षात और रात सपने में आती थी
सुबह - शाम अच्छी गुजरती थी
अचानक उसका दिखना बंद हो गया
पता नहीं कहाँ चली गई
मुझे तनहा छोड़ गई
सोचता हूँ
यह कैसा रिश्ता था
प्यार था या और कुछ
आज तक समझ न पाया
इतने वर्षों बाद भी
उसकी याद कायम है
कभी-कभी एक झलक दिखला जाती है
मैं मन ही मन मुस्कराता हूँ
उस अंजाने की याद में
Hindi Kavita, Kavita, Poem, Poems in Hindi, Hindi Articles, Latest News, News Articles in Hindi, poems,hindi poems,hindi likhavat,hindi kavita,hindi hasya kavita,hindi sher,chunav,politics,political vyangya,hindi blogs,hindi kavita blog
Tuesday, 5 October 2021
पहला प्यार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment