Saturday, 27 November 2021

मन में तूफान

आज हवा कुछ शांत है
मौसम भी सुहावना है
मन में फिर भी हलचल
एक तूफान सा समाया है
उसे शांत करते रहते हैं
दबाते रहते हैं
फिर भी कहीं  न कहीं से प्रस्फुटित हो ही जाता है
क्या करें इस मन का
कैसे शांत करें
अतीत की परछाईयां पीछा नहीं छोड़ती
उभर कर आ ही जाती है
अपना कब्जा जमा लेती है
वर्तमान को तो शांत रहने ही नहीं देती
वर्तमान पर ये हावी हो जाती है
सारा मूड ही किरकिरा कर देती है
हम जितना पीछा छुड़ाने की कोशिश करते हैं
यह उतनी ही शिद्दत से पीछे पीछे आती है
भविष्य तो दूर खडा तमाशा देख रहा होता है
उसका क्या भविष्य होगा
शायद सोचता रहता है
जब वर्तमान ही अनुकूल नहीं तब वह कैसे??

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