पुराना जाते - जाते कुछ दे गया
आज खिडकी खोली
तब नया दिन , नया सूरज
सघन आसमान
माँ स्वरूपा धरती
वही लोग
वे ही दोस्त
वे ही अपने
आसपास का वातावरण वही का वही
यह सब कुछ नहीं बदला
बस साल चुपके से खिसक गया
कुछ कान में गुनगुना गया
जो हुआ सो भूलो
फिर उठ खडे हो
नयी आशा , नयी चेतना के साथ
जो आज है वह कल नहीं
तब जो पल मिले हैं
उसे जी लो जी भर कर
मुस्करा लो
अपनों से प्यार कर लो
कुछ बुरा भूल जाओ
कुछ अच्छा याद रखों
यह तो प्रकृति का क्रम है
जो आज हैं वह कल नहीं
स्थायी यहाँ कुछ भी नहीं
अमर तो जीवन भी नहीं
हर आने वाले को जाना है
जाते - जाते कुछ छोड जाना है
कुछ जोड़ जाना है
वह धागे जो टूट गए
उनको फिर जोड़ देना है
जब तक रहना
हंसते - मुस्कराते
क्या लेकर आए क्या लेकर जाना है
सब यहीं रह जाना है
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Saturday, 1 January 2022
पुराना- नया
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