Saturday, 20 August 2022

अपेक्षा

एक व्यक्ति ने गुलदस्ता रखने का एक सुंदर सा गुलदान लिया
वह इतना सुंदर और नक्काशीदार था कि उस पर से ऑखें नहीं हटती थी
आते आते एक जगह फूलों की दुकान दिखी
वहाँ एक से एक गुलदस्ते  रखे हुए थे
एक सुंदर सा गुलाब के फूलों से बना हुआ ले लिया
घर आकर एक कोने में टेबल पर गुलदान रख उसमें गुलदस्ता रख दिया
यह सोने पर सुहागा जैसा लग रहा था 
सुबह सो कर उठने पर देखता क्या है
चीनी मिट्टी का गुलदान चकनाचूर हुआ है नीचे गिरकर
बगल में मुर्झाया हुआ गुलदस्ता
  गुलदान टूट गया
पैसा व्यर्थ गया ।दुखी हो गया 
लेकिन गुलदस्ता मुरझाने का दुख नहीं हुआ
तात्पर्य कि जो हम अपेक्षा रखते हैं वह टूट जाएं तो यह स्वाभाविक है
और जो पता है 
यह तो ऐसा ही है वहाँ उतना दुःख नहीं होता 

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