नहीं किसी को कमजोर समझो
नहीं किसी को ताकतवर समझो
यह समय है भाई
वक्त का पहिया घूमता है
कब कौन ऊपर पहुंचे
कब कौन नीचे गिरे
यह गिरना - पडना
खेल है जीवन का
बडे बडे धराशायी हो गए
नाम निशान भी न रहा
अदना सा कहने वाला शीर्ष पर पहुंच गया
गर्व और घमंड कर कुछ नहीं मिलता
इंसान और मानव हो
तब मानवता और इंसानियत बरकरार रहें
वहाँ सबको जाना है
वह सब देखता है
कर्मों का लेखा जोखा रखता है
कोई यह न समझे
वह अंजान है
आज नहीं तो कल
न्याय तो होता ही है
बस सब्र रखें।
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