कितने ही गोडसे पैदा हो जाएं
गांधी वो ही रहेंगे
गांधी एक व्यक्ति ही नहीं
एक विचार हैं
युद्ध में हार - जीत किसी की भी हो
वह विनाशक तो होता ही है
अहिंसा की जगह नहीं ले सकता
शांति का पर्याय कुछ नहीं है
इसका यह मतलब नहीं कि यह कमजोरी है
उनके जैसा तो दृढ़ व्यक्ति मिलना आसान नहीं
भारत तो छोड़ना ही पडेगा
सत्याग्रह ही हथियार था
सत्य की जगह हमेशा रही है
सत्य मरता नहीं
आज जो विदेश पढने जाते हैं
वहीं के होकर रह जाते हैं
हमारे जो नेता थे वे पढने तो गए
वापस अपनी ही भूमि पर आए
अंग्रेजों की अंग्रेजी सीखी और सबक सिखाया
मोहनदास करमचंद गांधी बैरिस्टर थे
पढे - लिखे व्यक्ति
जवाब देना उनको आता था
रेल के डिब्बे से नीचे उतारना और अफ्रीका में उनकी भूमिका
यही से जन्मी थी राष्ट्र भक्ति
जिसने प्रचंड रूप धारण किया
आज वे ही लोग आते हैं जिसने गुलाम बनाया था
राजघाट पर माथा नवाने
अपने भाषण में गांधी का जिक्र जरूर होता है
गांधी की शख्सियत ऐसी नहीं कि दो - चार गोडसे पैदा हो जाएं तो वह खत्म हो जाएगी ।
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