Wednesday, 26 October 2022

जीवन डोर

मैंने सुबह भी देखा है
मैंने सांझ भी देखा है
मैंने रात भी देखा है 
मैंने दिन भी देखा है
मैंने उजाला भी देखा है
मैंने अंधेरा भी देखा है
मैंने कोहरा भी देखा है
मैंने काले बादल भी देखे हैं 
मैंने कडकडाती बिजली भी देखी है
मैंने नीरव शीतल चांदनी भी देखी है
मैंने सूरज भी देखा है
मैंने चाँद भी देखा है
उन पर लगे ग्रहण को देखा है
उनको काले बादलों से ढकते देखा है
मैंने भोर की लालिमा भी देखी है
उजली और चमकती रात्रि का भी दीदार किया है
मैंने सूखापन भी देखा है
मैंने हरियाली का नजारा भी लिया है
मैंने पतझड़ भी देखा है 
मैंने वसंत भी देखा है
मैंने जीवन भी देखा है
सांसों की डोर को संभालते संभालते नित नया बहुत कुछ देखा है
कस कर पकड़ कर रखा कहीं कुछ छूट न जाएं 
कहीं कुछ बिखर न जाएं 
बहुत मूल्यवान देन है खुदा की
यह ऐसे न जाया हो
अपने लिए भी और अपनों के लिए भी
मजबूती से थामे रखा है यह जीवन डोर 

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