खुद को खुदा थोड़े ही बनाना है
कौन सा हमें यहाँ हमेशा रहना है
आज हैं कल चले जाना है
जीवन तो रैन बसेरा है
अमरता का वरदान भी नहीं चाहिए
बस इतना चाहिए
जब तक है कर्म करते रहें
किसी की मुस्कान बन सकें
किसी के ऑसू पोछ सकें
किसी के मन को समझ सकें
ज्यादा नहीं कर सके
अपनों के काम तो आ सके
नहीं चाहिए वैराग्य
हम तो खुश है गृहस्थी में
क्या करना है पहाड़ की खूबसूरती देखकर
अपने बच्चों के चेहरे पर मुस्कान देखना है
क्या करना है शांति में बैठकर
यह कोलाहल ही अच्छा है
जीवंतता का प्रमाण जो है
दाता से यही दान की अपेक्षा
अपनों का साथ हो हमेशा
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