Wednesday, 18 September 2024

मैं अकेला

मैं अकेला खड़ा सोचता रहा 
जीवन में क्या खोया क्या पाया
क्या मेरी खता हुई 
सब मुझसे दूर हो गए 
मैं ना चल सका उन रास्तों पर
जो उन तक जाती थी 
अपनी ही शर्तों पर जीना 
नहीं किसी को भाया
न मुझे किसी से कोई गिला न शिकवा- शिकायत 
आत्मसंतुष्टि है दिल में 
जो भी किया दिल से किया
न किसी को धोखा ना छल 
उसके सामने सब है 
जो भी सजा दे सब कुबूल है 

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