कभी निराश नहीं किया तुझे
हर कठिनाई और बाधा को पार किया
तुझे बड़ा प्यार किया
केवल मेरा ही हक नहीं तुझ पर
मेरे अपनों का मेरे बच्चों का मेरी माॅ का
इसलिए तो कस कर पकड़ी रही
संभाला , सजाया और संवारा
कुछ दौर ऐसे भी आए
जहाँ दुखी हुई , उदास हुई
धैर्य जवाब दिया
फिर हिम्मत की
उठ खड़ी हुई
तुझसे तब भी प्यार था
अब भी है और रहेगा
बस तू बेवफा मत होना
मेरा साथ निभाना
आज तक मैं पकड़कर रही तुझे
अब पकड़ कुछ-कुछ ढीली हो रही है
अब तू पकड़कर रख मुझे
जीना है अभी बहुत
सोने की सीढ़ी पर चढ़कर जाना है
वक्त है अभी तो
जी लेने दे
इतनी मेहरबानी तो जरूर कर
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