Tuesday, 29 July 2025

अपने आप से मुलाकात

आज मैने अपने आपसे मुलाकात की 
उससे मैंने बहुत कुछ कहा 
उसने भी बहुत कुछ सुनाया 
मुझे अच्छा नहीं लगा 
वह तो मुझे दोष देती रही 
कहा कि कभी अपना ख्याल नहीं रखा
हमेशा मुझे उलझनों में उलझाये रखा 
न खुद चैन से जीया न मुझे जीने दिया 
कितना मुझे परेशान करोगी 
मैं जोर से खिलखिलाई 
तुम्हें जो चीजें परेशान करती है 
मुझे सुकून देती है 
मेरा जीने का अंदाज यही है 
मुझे स्वतंत्रता प्यारी है 
मन को बांधना मुझे भाता नहीं 
अपनी शर्तों पर जीना 
इससे ज्यादा नहीं कुछ चाहा 

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