हर छोटी से छोटी बात पर दूसरों की तारीफ करना
उनकी हौसला आफजाई करना
आदत में शुमार
क्या कभी अपनी भी तारीफ की है
जो संघर्ष किया
जो आंधी-तूफान के थपेड़े सहे
जो बातें सुनी
जो झुके लोगों के सामने
मेहनत की मन को मारा
चाहा था बहुत कुछ मिला नहीं
हारे नहीं फिर भी
जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए क्या नहीं किया
हर जतन से संवारा
भरपूर प्यार किया
कभी-कभार कोसा भी
ईश्वर को भी जन्मदाता को भी स्वयं को भी परिस्थिति को भी
लड़ाई फिर भी लड़ी
अब तो जरा अपनी भी प्रशंसा कर लें
आपकी अपनी उपलब्धि पर नजर डाल लें
दूसरों के भरोसे क्यों
क्यों कोई आपकी प्रशंसा करेंगा
ईर्ष्यालु दुनिया में समाज में
आप तो अपनी कर सकते हैं
अपने ऊपर गर्व
अपनी काबिलियत पर
लड़ना सबके बस की बात नहीं
हारना और जीतना भी नहीं
जिगरा चाहिए
वह है आपके पास
तब देर किस बात की
मुस्करा दीजिए
अपनी पीठ स्वयं थपथपा दें
अपनी तारीफ अपने ही कर लें
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