Friday, 6 November 2015

आंगनबाडी जैसी जगह पर भेदभाव -शर्म की बात

भारत को आजाद हुए इतने साल हो गये पर व्यवस्था वैसी की वैसी
आंगनवाडी में जाति गत भेदभाव वह भी बच्चों को लेकर
तीन साल की उमर में बच्चों को जाति की परिभाषा बताकर उनको अलग रखा जाता है
जहॉ पंडित और उच्च वर्ग के बच्चे रहते हैं वहॉ वे नहीं रह सकते
मोदी जी यू एन सेक्युरिटी काउंसिल में स्थायी सदस्यता के लिए प्रयत्नशील है
पर हमारे देश में यह क्या चल रहा है
जाति खत्म करने की बात हो रही है
पर खत्म कैसै होगी
चुनाव के लिए नेता जातिगत आधार पर प्रयत्न करते है
विकास के बदले जाति का उल्लेख किया जाता है
सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री देश को देनेवाला उत्तर प्रदेश जाति के आधार पर बँट गया है
हाल के बिहार चुनाव में भी विकास की अपेक्षा जाति और धर्म का उल्लेख तथा एक दूसरे पर दोषारोपण हुआ
देश के प्रतिनिधी ही ऐसा करेंगे तो सामान्य जनता का क्या

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