हमारी सोसायटी के वफादार और पुराने वॉचमैन शुक्ला जी के घर पोती का जन्म हुआ
उनके तीन बेटे हैं पहले की संतान नहीं है और दूसरे की बेटी हुई है
सोचा कि आज तो ये बहुत खुश होगे ,अब तक घर में कोई बेटी नहीं थी फिर यह तो पहली संतान है
पर सोचना गलत था बधाई देने पर बोलने लगे कि मैं तो समझ रहा था पोता होगा
अब तो बीस साल तक जमा करना पडेगा इसकी शादी के लिए
हमारी सोच शादी पर ही अाकर रूक जाती है
तीन बेटो के होने पर ही उनके बराबर कामधाम न करने का रोना रोने वाले को फिर भी पोता ही चाहिए
आज सरकार ने बेटियो के लिए कितनी योजनाएं बना रखी है .पढाई -लिखाई के पहले शादी-ब्याह की ही क्यों सोचता है भारतीय जनमानस
पालन -पोषण तो संतान बेटा हो या बेटी दोनों का ही करना पडता है
फिर बेटी को बोझ क्यों समझा जाता रहा है
हम चाहे कितने भी पढे -लिखे हो पर मन हमेशा एक ही बात सोचता है कि इसकी शादी अच्छे घर में हो जाय
अच्छा घर -वर न मिला तो यह समाज जीने नहीं देगा
पूछ -पूछ कर परेशान कर डालेगा
आखिरी मंजिल शादी ही क्यों होना चाहिए
अपनी मानसिकता बदलना चाहिए
उसे एक काबिल व्यक्ति बनाने की जरूरत है
बेटी होने पर डरने या परेशान होने की जरूरत नहीं है
भविष्य किसने देखा है
कौन क्या होगा यह तो समय ही बताएगा
बेटियॉ तरक्की कर रही है
कल शायद तस्वीर बदल जाय
संतान ,संतान ही होती है बेटा -बेटी नहीं
दोनों ही सम्मान और प्यार के अधिकारी है
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Wednesday, 3 February 2016
क्यों लडकी के जन्म से डरता है आम भारतीय
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