Sunday, 3 July 2016

रात की बात निराली

रात है तो एकांत है
रातरानी अपने साथ नींद भी लाती है
सबको शॉति के आगोश में ले लेती है
सबसे दूर सपनों की दूनियॉ की सैर कराती है
कुछ लोग सोते हैं तो कुछ रोते हैं
सारी दुख - परेशानी को तकिए पर उडेलते हैं
छिप- छिपकर रोते हैं
कोई ऑसू देखनेवाला जो नहीं होता
मन हल्का करने का समय
छिपा कर रखा ऑसू बह उठता है
और मन भर कर रो लो
रातरानी जो सबसे छिपाती है अंधकार में
यह अंधेरा सुकुन देता है
रोशनी इस समय अच्छी नहीं लगती
ऑखो को चूभती है
यह अंधेरा भाता है
थकान तो मिटाता ही है ,आराम भी देता है
रात न हो तो कोई सोए ही नहीं
सब इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं
किसी की रात चॉदनी होती है तो किसी की विरहणी
पर ये सबका साथी है
दिन का उजाला और रात का अंधेरा
जीवन के दो पहलू है
दिन का स्वागत करते हैं.
तो रात की भी प्रतीक्षा

No comments:

Post a Comment