Wednesday, 14 June 2017

क्या कुछ नहीं बदल गया

मैं यहॉ बैठी सोच रही
क्या कुछ नहीं बदल गया
वह संघर्षमय अतीत
वह जीवन की आपाधापी
वह पाई- पाई जोडना
गृहस्थी में काटकसोर करना
तिनके- तिनके को जोड आशियना बनाना
आज समय ने करवट ली है
सब कुछ है ईश्वर तेरी कृपा से
कष्ट भी आए मुसीबत भी आई
पर तुझ पर से आस न टूटी
इस पहाड जैसे हर मुसीबत का सामना किया
हर थपेडो को बर्दाश्त किया
तभी तो आज हरियाली आई है
मौसम खुशगंवार हुआ है
घर और बगिया महक रही है
सब फलफूल रहे हैं
यादों में खोई मैं सोच रही
क्या कुछ नहीं बदल गया
कभी पैदल चली थी
आज हवाई जहाज से यात्रा कर रही हूँ
हिल स्टेशन की सैर कर रही हूँ
ए ़सी की हवा खा रही हूँ
वातानुकुलित गाडी में प्रवास कर रही हूँ
पहाड जैसा जीवन आसानी से कट गया
सब कुछ बदल गया
पर तेरी भक्ति नहीं बदली
वह और आगे बढी
तेरे ही नाम से सोना और तेरे ही नाम से जागना
हर पल तेरे नाम का ही स्मरण करती रहूं
और अपना तथा अपने परिवार का जीवन सार्थक करती रहूं

No comments:

Post a Comment