हर दिन नया
हर सुबह ताजगी भरा
हर किरण उर्जावान
हर रंग सुनहरा
प्रकृति नहा उठती है
खिल उठती है
सौंदर्य की रानी अपने पूरे शबाब पर
हर फूल मुस्कराता है
हर पत्ता झनझनाता है
हर सुबह भौंरा गुनगुनाता है
पक्षी चहचहाते हैं
तितली रानी यहाँ से वहाँ फुदकती है
मंदिर की घंटियां घनघनाती है
मस्जिद से अजान की ध्वनि आती है
सब तरंगित हो उठते हैं
प्रकृति अंगडाई जब लेती है
रात्रि के विश्राम के पश्चात
सब कुछ सुहावना
ताजा तरीन
कहती है
उठो और काम मे लग जाओ
सोना जीवन का उद्देश्य नहीं
जागना और जीवन जीना
मैं भी उठी हूँ
तुम भी उठो
जो जागत है
वो ही पावत है
जो सोवत है
वो खोवत है।
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Tuesday, 5 February 2019
प्रकृति का संदेश
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